रविवार, 26 जुलाई 2020

Topographical Model Of Mind In Hindi

 समझिए अपने मन को भाग 2
Topographical Model of Mind
महान साइकोएनालिस्ट (मनोविश्लेषण ) और न्यूरोलॉजिस्ट (तंत्रिकाविज्ञानी) सिगमंड फ्रायड ने  सिद्धांत थ्योरी ऑफ माइंड के तहत दो मॉडल प्रस्तुत किए थे जिस में से आज
 मैं Topographical Model of Mind को समझाने जा रहा हूं| 
इन सिद्धांतो की मदद से हम अपने जीवन की कई कठिन समस्याओं, कठिन समय और परिस्थितियों को सुलझा सकते हैं क्योंकि यह सिद्धांत, हमें हमारे मन और उसके कार्य करने के तरीके को विस्तृत रूप से दर्शाता है|
Topography का मतलब मेप 🗺 (map) होता है जिसमें हाईवे ,रोड ,मंदिर, तालाब, नदियां, पहाड़, शॉपिंग मॉल, चौराहे, हॉस्पिटल, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड,शहर और गांव की जानकारी होती है | वैसे ही Topographical model of mind में मन के तीन हिस्से बताए गए हैं|
1. Conscious Mind
2. Precocious Mind
3. Subconscious Mind

इसे Iceberg मॉडल ऑफ माइंड भी कहते हैं क्योंकि जिस तरह Iceberg की संरचना 1/7 भाग पानी के ऊपर और  6/7 भाग पानी के नीचे रहता है इसी तरह हमारे दिमाग में Concious और Subconscious mind होते है|

1. Concious Mind :-

यह दिमाग का वह हिस्सा है जिससे हम सचेत रहते हैं और अपनी क्षमता को पहचानते हैं अपनी दिनचर्या के काम करते हैं 
जैसे:- 
1. मैं जानता हूं कि मैं कार चला पाता हूं पर मैं यह भी जानता हूं कि मैं हवाई जहाज नहीं चला पाता हूं|
2. अप्पू जानता है कि उस पर गणित तो अच्छे से बन जाएगी पर अंग्रेजी में कठिनाई होती है|
3. पप्पू जानता है कि वो पुलिस की भर्ती की दौड़ तो निकाल लेगा पर गोला फेंकने में दिक्कत जाएगी|

यह दिमाग का हिस्सा
 यह जानता है कि हम क्या जानते हैं और यह भी जानता है कि हम क्या नहीं जानते|

2. Precocious Mind

यह तीनों भागों में सबसे छोटा भाग है इसमें हमें यह तो पता होता है कि हमें क्या पता है पर हमें ध्यान लगाने की जरुरत पड़ती है तभी वह Concious Mind में आ पाता है|
 उदाहरण की माध्यम समझिए
1. जैसे परीक्षा के समय प्रश्न पत्र को देख कर कुछ प्रश्न जिन्हें देखकर ऐसा लगता है की हां मैंने ये पढ़ा था और याद भी किया था पर याद नहीं आ रहा है| पर इतना याद रहता है प्रश्न तो यही पढ़ा था फिर उत्तर के लिए दिमाग पर जोर लगाना पड़ता है हो सकता है की याद आ जाए और नहीं भी | हो सकता है पेपर की समय सीमा खत्म होने के बाद याद आ जाए| पर फिर क्या?? 
 इसीलिए तो कहा जाता है कि विद्यार्थी बार-बार रिवाइस करते रहे |
2. कई बार पुराने मित्रों से जब रीयूनियन होता है तब हम कई मित्रों के नाम पता होने के बाद भी उस समय याद नहीं आता | ध्यान लगाना पड़ता नाम याद करने के लिए और यदि ना याद आए तो यार-यार कहकर काम चलाना पड़ता है|

3. Subconscious Mind

यह दिमाग का सबसे बड़ा हिस्सा है इससे हम भी अनजान होते हैं |
I don’t know what I don’t know. का मतलब मैं भी नहीं जानता कि मैं क्या नहीं जानता
सपने भी इसी के वजह से ही आते है इसमें सीमाओं का बंधन नहीं होता इसलिए कहते हैं मानव के लिए असंभव कुछ भी नहीं|
इस को जानने के लिए Sigmund Freud ने बताया कि  
Dream analysis सपनों का विश्लेषण कर के हम जान सकते हैं कि हमारे Subconscious Mind मे क्या चल रहा है क्योंकि
“Dream are the royal road to unconscious mind.”
दिल की गहराइयों को समझने के लिए सपनों को जानना बहुत जरूरी है| 
उदाहरण के माध्यम से समझिए
1.मान लीजिए एक लड़की है जिसका बॉयफ्रेंड भी है और उसके साथ खुश भी है  लेकिन सपने में वह खुद ,किसी और लड़के से प्यार करती हुई दिखती है तो इसका मतलब यह हो सकता है कि वह सच में उसी से प्यार करती है जो सपने में दिखता है पर वह इस बात को समझ नहीं पा रही और Conciously किसी और से ही प्यार करती है इसके कारण कई बार रिश्ते ज्यादा नहीं टिकते या वैसा रस नहीं होता|
2.पप्पू बचपन से अभी तक  कई बार सपने में देख चुका है  कि वह एक स्कूल टीचर है और उसे पढ़ाने में बहुत खुशी होती है, पर Concious Mind में उसके पापा चाहते हैं कि वह डॉक्टर बनें और वह भी अपने सपनों को नहीं समझ पाया और डॉक्टर बनने में लग गया , 
हो सकता है वह बन जाए डाक्टर,  पर उसे आंतरिक रुप से उतना अच्छा नहीं लगेगा जितना कि उसे टीचर बन कर लगता| 

Instinctual Drive( जिसमें Hunger, Anger, Sex, Maternal ect आती है ) Subconscious Mind के अंतर्गत आती है|
Subconscious Mind  ही deep and dark होता है जिसमें क्राइम,लालच, वासनाए डर कल्पनाऐ आदि  होते हैं 
जिससे ही हमें आसानी से कल्पनाओ से भरी, अपराध , चोरी और ग्लैमर से जुड़ी फिल्में पसंद आती है| (Avengers , Harry Potter Series, doom123, Crime Patrol, fashion TV, Carry Minati  etc) 

असल में समस्या जब शुरू होती है जब Conscious Mind में कुछ और ,और Subconscious mind  में कुछ और होता है तो  लगता है कि मन में कुछ और चल रहा है जबकि दिमाग में कुछ और|  सामान्य जीवन में परेशानियां होने लगती हैं|

जैसे झूठ बोलते हुए व्यक्ति आसानी से पकड़ में आ जाते क्योंकि उनके  Subconscious mind को उनके  कुकर्मों के बारे में पता रहता है लेकिन वो Concious mind से उन्हें छुपाने की कोशिश करता है लेकिन इसमें बॉडी साथ नहीं देती और उन्हें पसीना आने लगता है( और भी फिजिकल साइन दिखते)  क्योंकि साइकोलॉजी में कहा गया है
                        Body doesn’t lie.

 सपनों का विश्लेषण करके दिल की गहराइयों को पता लगा सकते हैं वैसे तो Subconscious mind को पूरी तरह समझना नामुमकिन है फिर भी जितना आप विश्लेषण करेंगे उतना तो आप समझ ही लेंगे|
Brain Wash term शब्द सुना ही होगा जब बातों के माध्यम से किसी व्यक्ति के Subconscious Mind में लक्ष्य बदल दिया जाता है और दिमाग के तीनों भागों को उसी से सामंजस्य स्थापित करा देते तो व्यक्ति का ब्रेन बॉस जाता है| यह इतना आसान भी नहीं है कि कोई भी किसी का ब्रेन बॉस कर दे |  एक पहलू यह भी टेलीविजन में  एडवर्टाइज के माध्यम से आम जनता का ब्रेनवाश करके उनसे वह चीजें खरीद वाना है जिनकी उन्हें कोई खास जरूरत नहीं है|

 दिमाग के तीनों हिस्सो का सामंजस्य बनाए रखिए जिससे आप बहुत खुश रहेंगे|
मुझे आशा है कि मन कैसे काम करता है आप समझ चुके होंगे| 
अपनी प्रतिक्रिया जरुर दें
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Reference:-
1. Topographical Model of Mind :- Sigmund Freud



रविवार, 19 जुलाई 2020

समझिए अपने मन को|


मानव मन को समझना मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत के मूल में है। मन हमारे साथ कैसे-कैसे खेल खेलता है इस बात को समझने के लिए महान साइकोएनालिस्ट (मनोविश्लेषण ) और न्यूरोलॉजिस्ट (तंत्रिकाविज्ञानी) सिगमंड फ्रायड के सिद्धांत थ्योरी ऑफ माइंड के स्ट्रक्चरल मॉडल को आसान शब्दों में समझना होगा|
Human Mind

स्ट्रक्चरल मॉडल ऑफ माइंड
जिस तरह एक घर की संरचना में आधार तल, मध्य तल और ऊपरी तल होते हैं उसी तरह मन के भी तीन तल होते हैं|

Instinctual Drive
मानव मन का सबसे निचला तल Instinctual drive (ID) होता है जिसका अर्थ है जन्म से ,ऐसी जरूरतें आदतें जो पैदाइशी होती हैं जिनके बिना हम जिंदा नहीं रह सकते | ड्राइव का मतलब वह आदतें और जरूरते है जो अपने आप ही अपनी तरफ खींचती है
जिन्हें हम करते हैं तो हमें बहुत सुख और आनंद मिलता है और यदि नहीं करते तो दर्द का एहसास होता है उदाहरण के माध्यम से समझिए

जैसे एक बच्चे को पैदा होने से पता रहता है कि कैसे अपनी मां के स्तनों से से दूध पीना है जैसे ही मां मां बच्चे को अपने स्तनों से लगाती है और वह बच्चा दूध पीना शुरू कर देता है जबकि यह बात किसी ने उसको नहीं सिखाई होती है यदि उसे दूध नहीं पिलाया जाए तो वह रोने लगता है क्योंकि उसे पेट में दर्द का एहसास होता है
Instinctual drive कई तरह की होती है
यह हमारे जिंदा रहने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होती है
1. भूख( Hunger)
जब भूख लगती है तो किसी भी काम में मन नहीं लगता बस लगता है की कुछ खाने मिल जाए|
यदि खाने को नहीं मिला तो दर्द होने लगता है| चिड़चिड़ापन होने लगता है, गुस्सा आने लगती है
भूख को लाने के लिए कोई अलग से मेहनत करने की जरूरत नहीं होती,वो तो पैदाइशी ही होती है|

2. क्रोध (Anger Instinct )
क्रोध आना भी पैदाइशी ही होता है जब कोई, हमारे हक को मारने की कोशिश करता है तो हमें गुस्सा आता है |

उदाहरण :- 1.जब कोई मां किसी और के बच्चे को अपने बच्चे के सामने ,प्यार दुलार या गोदी में बिठती है तब वह रोने और बिलखने लगता है| और जब माता-पिता किसी दूसरे के बच्चे की ज्यादा तारीफ , अपने बच्चे के सामने करें तो भी गुस्सा का आलम बन बन जाता है|
उदाहरण 2. जब कोई और लड़का या लड़की किसी के प्रेमी या प्रेमिका से नजदीकीया बढ़ाता है तो उनके प्रेमिका या प्रेमी को को बहुत ही गुस्सा आता है और अपने हक मारे जाने का एहसास होता है|
उदाहरण 3. जब कोई हमें धोखा देता है तब भी गुस्से का आलम हो जाता है|
Brain Animation
3.Sexual Instinct:- यह भी एक एक जरूरी instinct है जिससे धरती पर प्राणी जगत को बनाए रखने के लिए जरूरी है| एक इंसान को जिंदा रहने के लिए तो सेक्स की जरूरत नहीं है, पर प्राणी जगत को आगे बढ़ाने के लिए इसकी बहुत जरूरत है जैसा कि यह पैदाइश जरूरत है जिसके करने से हमें खुशी और उत्कर्ष मिलता है
उदाहरण 1.संसार में कहा जाता है की 'प्यार किया नहीं जाता हो जाता है' क्योंकि इसका कारण sexual instinct है क्योंकि प्यार का अंतिम उद्देश्य sexuality ही होता है | जो पैदाइशी ही आता है बस शरीर के परिपक्व होने का इंतजार रहता है|
4. मातृत्वता(Maternal Instinct) :- माता-पिता से कुछ गुण विशेषताएं जन्म से ही ही मिलती इन्हें भी Instinct मे ही रखा गया है |
Super Ego

मानव मन के सबसे ऊपरी तल को Super Ego कहते हैं
यह नैतिक सिद्धांतों और आदर्शवाद पर कार्य करती है|
मन का यह हिस्सा हमें नैतिक सिद्धांतों को साथ लेकर चलने को कहता है|
उदाहरण जैसे वह व्यक्ति जिन्होंने अपने मन के इस हिस्से को ज्यादा तवज्जो दिया नैतिक मूल्यों पर अधिक खरे उतरे जैसे कि हमारे स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गांधी ,संविधान निर्माता डॉक्टर बीआर अंबेडकर, रविंद्र नाथ टैगोर ,आजाद जिन्होंने अपने सुख को ना देखते हुए मानवीय और नैतिक सिद्धांतों को ऊपर रखा और अपने प्राणों की भी भी आहुति देने तैयार रहे| इसीलिए उन्हें याद किया जाता है|
Ego
जैसे यदि कोई मनुष्य पूरी तरह अपनी ही Instinct को पूरी करने में लग जाए तो वह व्यक्ति लगभग जानवरों की ही तरह हो जाएगा पूरा का पूरा स्वार्थी (selfish)
उदाहरण 4.छोटे बच्चे अपनी जिद मनवाने जमीन पर लेट जाते हैं उधम मचा देते हैं और जब नशेड़ी या शराबी को शराब ना मिलने पर घर को तहस-नहस कर देते हैं लड़ाई करते हैं |
और Super Ego मे बहुत ही आदर्शवाद और सिद्धांतवाद होता है जैसे बहुत ही ईमानदारी से रहना हमेशा सच बोलना इत्यादि जिन्हें हम हमेशा फॉलो नहीं कर सकते| फिर आता है एडजस्टमेंट ( balance)
मानव मन की संरचना के मध्य में में एक भाग Ego भी होता है जो Instinct drive और Super Ego के मध्य सामंजस्य स्थापित करता है |
जिससे आपकी instinctual drive ( मन की इच्छाएं इच्छाएं) भी पूरी हो जाए और नैतिकता भी बनी रहे समाज में गलत साबित भी न हो|
उदाहरण :- माना आप डाईटिंग करने की सोच रहे हैं और मन ही मन आपने कसम खाई की कुछ भी हो जाए आज से रात से ही डाइटिंग शुरू करूंगा ही पर जैसे ही आप घर पहुंचते हैं और देखते हैं कि आपकी वाइफ ने या आपकी मां ने आपके पसंद का गाजर मावा का हलवा बनाया है और वह कहती हैं जल्दी हाथ मुंह धो लो और हलवा खा लो |
अब मन सोचने लगता है
 Instinct drive कहेगी हलवा खाएंगे मजा आएगा अच्छा लगेगा |
जबकि Super Ego कहेगा की आज ही तूने डाइटिंग का प्रण लिया और आज ही तोड़ने जा रहा ,यह गलत बात है बड़ा बेशर्म है तू|
फिर आएगा नंबर Ego का, जो कहेगा वैसे भी किसी को पता तो है नहीं, की आज से मैंने डाइटिंग की कसम खाई थी | मैंने कहा भी नहीं था हलवा बनाने को, अब इतने प्यार से हलवा बनाया है खा ही लेते हैं, डाइटिंग फिर कभी शुरू करेंगे|
Ego ने एक बीच का रास्ता निकाल दिया जिससे व्यक्ति की इच्छाएं पूरी हो जाए |
 हमारे समाज और नैतिक सिद्धांतों में कुछ कार्य ऐसे होते हैं जिन्हें एक निश्चित संस्कार के बाद ही करना उचित समझा जाता है|
 जैसे बच्चे पैदा करना शादी के बाद ही उचित समझा जाता है|
शादी के पहले इंटीमेट होना भी गलत समझा जाता है|
पर कुछ जरूरी कार्यों के लिए Ego निकालता है बीच का रास्ता और कहता है जो करना है करो बस किसी को पता नहीं चलना चाहिए और इंसान की इच्छाएं भी पूरी हो जाए |
Structural Model of Mind
दिमाग के तीनों भाग एक साथ कार्य करते हैं इसी से हम प्रैक्टिकली डिसीजन लेते हैं कई बार डिसीजन Instinctual drive और Super Ego के पक्ष में जाता है और कई बार हमें बीच का रास्ता भी निकालना पड़ता है जो Ego के पक्ष में जाता है|

यह मॉडल जिंदगी को समझने के लिए बहुत मदद करता है हम अपने निर्णयों को संतुलित करके जिंदगी को खुशहाल बना सकते हैं
बहुत ही ज्यादा Instinctive हो जाना भी भी गलत है क्योंकि फिर हम और जानवरों में ज्यादा फर्क नहीं रहेगा|
हां पर सुपर ईगोस्ट्रिक्ट हुआ जा सकता है अपने सुखों को छोड़ कर आदर्शवादी बना जा सकता है इसीलिए ही सैनिक जवानों की शहादत को याद किया जाता है|

मुझे आशा है कि आप दिमाग के इस खेल को समझ चुके होंगे और अपनी निर्णयों को सुधार सकते हैं | जीवन को आसानी से समझ सकते हैं|

यह मॉडल सिगमंड फ्रायड ने प्रस्तुत किया है मैंने कुछ उदाहरणों के माध्यम से सरल भाषा में समझाने का प्रयास किया है जिससे सभी तक बात पहुंच सके|

संदर्भ:-
1. Structural model of mind mind:- Sigmund Freud