शनिवार, 5 जून 2021

विश्व पर्यावरण दिवस शुभकामनाओं सहित

 बक्सवाहा को बख्श दो | ( विशेष आग्रह)

विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं |

इंसानी घटिया और दिखावा सोच के उदाहरण

1. प्राकृतिक जंगल को लाखों और करोड़ों की तादात में काटते जा रहे और ऊपरी दिखावे के लिए 1-2 पेड़ पौधा लगाने की बात करते है|

2. जानवरों के वास्तविक घरों मतलब जंगलों को मिटाते जा रहे हैं और दिखावे के लिए 2-4 वन्य अभ्यारण खोल रहे |

3. पानी की सुविधा के नाम पर पृथ्वी में पानी निकालने के लिए अरबों छेद कर दिए और दिखावा के लिए पानी बचाओ आंदोलन |

4. खनिज और धातु उत्खनन के लिए लाखों वर्ग किलोमीटर पहाड़ों और प्राकृतिक संसाधनों को खोद डाला और दिखाने के लिए प्रकृति बचाओ आंदोलन|

5. पक्षियों का आवास मिटाते जा रहे हैं दूसरी तरफ दिखाने के लिए छतों पर पानी का सकोरा |

6. कार्बन उत्सर्जन और प्रदूषण की दर को बढ़ाते जा रहे और दूसरी तरफ दिखाने के लिए प्रदूषण कम करने के लिए प्रदूषण दिवस मनाते जा रहे |

7. जब समुद्री जानवरों का रहना दुश्वार कर दिया तब तो धरती पर रहने वाले जानवर का क्या हश्र हुआ होगा  और दिखाने के लिए ...

8. धरती तो ठीक, अंतरिक्ष में भी हम लोगों ने कचरा फैला दिया और दिखाने के लिए.....

9. हजारों रासायनिक फार्टिलाइजर्स का उपयोग और पराली जला कर मिट्टी को बांझ करने वाले दूसरी ओर फसल खराब होने पर स्वांग भगवान को कोसने का

10. हिटलर जैसे नेताओं को चुनने वाले दूसरी और दिखावा करते है और मांग करते है अच्छे राष्ट्र की | ये सामाजिक और राजनैतिक पर्यावरण को ध्वस्त करने की बात हो गई|


कोरोना एक ट्रेलर है |

कृतिम ऑक्सीजन की अत्यधिक जरूरत भविष्य में होने बाली महामारियों का संकेत हो सकता है |

{आशा नहीं आशंका }


मैं भी अपनी इस दिखावे वाली वाणी को विराम देता हूं|

सौरभ रोहित

 धन्यवाद




शुक्रवार, 30 अप्रैल 2021

ऑक्सीजन कैसे उत्पन्न होती है? जिसे सिलेंडरों में भरा जा सके |

इन दिनों कोरोना का प्रकोप लगातार बढ़ता ही जा रही है। हालात तो ऐसे हो गए हैं कि कई जगहों पर लॉकडाउन (Lockdown in india) तक लगा दिया गया है। दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में लॉकडाउन के जरिए कोरोना के संक्रमण को रोकने की कोशिश हो रही है। कोरोना के मरीजों के संख्या इतनी तेज बढ़ रही है कि अस्पतालों में बेड कम पड़ गए हैं और ऑक्सीजन सिलेंडर (Oxygen Cylinder) की कमी पैदा हो गई है। ऐसे में बहुत सी स्टील, पेट्रोलियम और उर्वरक कंपनियां भी अपने कारोबार में इस्तेमाल होने वाले ऑक्सीजन सिलेंडर अस्पतालों को सप्लाई कर रहे हैं। ऐसे में बहुत से लोग ये नहीं समझ पा रहे हैं कि आखिर जो ऑक्सीजन वातावरण में भरी पड़ी है, उसके सिलेंडर की कमी कैसे हो गई है? आइए आपको बताते हैं ऑक्सीजन का पूरा इकनॉमिक्स।

ऑक्सीजन सिलेंडर

जानिए कैसे बनती है ऑक्सीजन

ऑक्सीजन गैस क्रायोजेनिक डिस्टिलेशन प्रोसेस के जरिए बनती है। इस प्रक्रिया में हवा को फिल्टर किया जाता है, ताकि धूल-मिट्टी को हटाया जा सके। उसके बाद कई चरणों में हवा को कंप्रेस (भारी दबाव डालना) किया जाता है। उसके बाद कंप्रेस हो चुकी हवा को मॉलीक्यूलर छलनी एडजॉर्बर (adsorber) से ट्रीट किया जाता है, ताकि हवा में मौजूद पानी के कण, कार्बन डाई ऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन को अलग किया जा सके।

इस पूरी प्रक्रिया से गुजरने के बाद कंप्रेस हो चुकी हवा डिस्टिलेशन कॉलम में जाती है, जहां इसे ठंडा किया जाता है। यह प्रक्रिया एक plate fin heat exchanger & expansion turbine के जरिए होती है। ऑक्सीजन को -185 डिग्री सेंटीग्रेट (ऑक्सीजन का उबलने का स्तर) तक ठंडा किया जाता है, जिससे उसे डिस्टिल्ड किया जाता है। बता दें कि डिस्टिल्ड की प्रक्रिया में पानी या तरल को उबाला जाता है और उसकी भाप को कंडेंस कर के जमा कर लिया जाता है। इस प्रक्रिया को अलग-अलग स्टेज में कई बार किया जाता है, जिससे नाइट्रोजन, ऑक्सीजन और अर्गन जैसी गैसें अलग-अलग हो जाती हैं। इसी प्रक्रिया के बाद लिक्विड ऑक्सीजन और गैस ऑक्सीजन मिलती है।



ऑक्सीजन की खोज

 जीवनदायिनी गैस ऑक्सीजन इस पृथ्वी पर सभी जीवों के जीवित रहने के लिए अति महत्वपूर्ण है। इस रासायनिक तत्व के बिना धरती पर जीवन असंभव है। इसके विभिन्न रासायनिक गुणों के पता चल जाने से आज इसका उपयोग स्टील, प्लास्टिक, वस्त्र आदि उद्योगों में बड़े स्तर पर किया जा रहा हैं। लेकिन क्या आपको मालूम है, इतने महत्वपूर्ण गैस Oxygen ki khoj kisne ki थी और कब? तो इसका उत्तर है, इस गैस की खोज आज से लगभग 245 वर्ष पहले अंग्रेज रसायन विज्ञानी जोसेफ प्रिस्टले (Joseph Priestley) ने 1774 ई.वी. में की थी।

Joseph Priestley


ऐसा भी माना जाता है कि जोसेफ प्रिस्टले से पहले ही लगभग सन् 1772 में स्वीडेन के रसायनज्ञ कार्ल विल्हेल्म शीले (Carl Wilhelm Scheele) ने स्वतंत्र रूप से इस गैस की खोज कर ली थी, लेकिन उन्होंने इस खोज को सार्वजनिक रूप से प्रकाशित नहीं करवाया था; जिस कारण इस गैस की खोज का श्रेय प्रिस्टले को ही दिया जाता है।


उस समय प्रिस्टले ने इस गैस का नाम ‘dephlogisticated air’ रखा था। इस गैस को ‘ऑक्सीजन’ नाम सन् 1777 में फ्रांसीसी वैज्ञानिक एंटोनी लेवोज़ियर ने दिया था। लेवोज़ियर ने ही इसकी पहचान एक रासायनिक तत्व के रूप में कि थी तथा किसी चीज के जलने में इसकी भूमिका का पता लगाया था।


जोसेफ प्रिस्टले तथा अन्य गैसों की खोज

जोसेफ प्रिस्टले 18वीं सदी के प्रसिद्ध  दर्शनशास्त्री, प्रगतिशील रसायनज्ञ थे।

उत्तरी इंग्लैंड के लीड्स शहर में 1774 में उन्होंने ‘ऑक्सीजन’ तथा 9 अन्य गैसों की खोज कि। उन नौ गैसों के नाम इस प्रकार हैं –


क्र. सं. गैसों के नाम रासायनिक सूत्र

1. नाइट्रिक ऑक्साइड (नाइट्रोजन मोनोऑक्साइड) NO

2. नाइट्रोजन डाइऑक्साइड NO2

3. नाइट्रस ऑक्साइड (laughing gas) N2O

4. हाईड्रोजन क्लोराईड HCI

5. अमोनिया NH3

6. सल्फर डाइऑक्साइड SO2

7. सिलिकॉन टेट्रफ्लुओराइड SiF4

8. नाइट्रोजन N

9. कार्बन मोनोऑक्साइड CO

गुरुवार, 7 जनवरी 2021

एक प्रेरणा:- आरती डोगरा आईएएस ऑफिसर


 

आरती डोगरा आईएएस ऑफिसर राजस्थान

यदि आपके पास मजबूत इच्छाशक्ति और प्रेरणा है, तो आप कुछ भी हासिल कर सकते हैं। इसे आईएएस अधिकारी ने साबित कर दिया है।

आरती डोगरा राजस्थान की एक भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी हैं। उन्होंने समाज को बदलने के लिए कई उपाय किए।

एक सफल अधिकारी होने के नाते, उन्होंने कई लोगों को प्रेरित किया और कई युवाओं के लिए एक आदर्श बन गई।

लेकिन, सफलता उसके लिए रातों-रात नहीं आई। उसने इसे मजबूत समर्पण और इच्छाशक्ति के साथ हासिल किया। उन्हें ऊंचाई के कारण भेदभाव का सामना करना पड़ा।

वह साढ़े तीन फुट की है, लेकिन ऊंचाई उसे ऊंची मंजिलें हासिल करने से नहीं रोक सकी।

आरती डोगरा का जन्म देहरादून, उत्तराखंड में हुआ था। उनके पिता भारतीय सेना में कर्नल राजेंद्र डोगरा हैं और उनकी माँ स्कूल की प्रिंसिपल कुमकुम हैं।

डॉक्टरों के सुझाव से एक विशेष स्कूल में भेजने के लिए कहा गया क्योंकि वह कद में छोटी थी और सामान्य रूप से अध्ययन नहीं कर पाएगी परंतु इसके बावजूद माता-पिता ने उसे एक सामान्य स्कूल में प्रवेश दिलाया। उन्होंने देहरादून के वेल्हम गर्ल्स स्कूल में अच्छी पढ़ाई की और लेडी श्रीराम कॉलेज, डीयू से स्नातक किया।

आरती अपने करियर में कई शीर्ष पदों पर रही हैं और जिम्मेदारियों को कुशलता से निभाया है।

अपने कार्यों को बहुत अच्छे से पूरा करने के लिए उन्हें कई सम्मान मिले।

उन्होंने जोधपुर डिस्कॉम के प्रबंध निदेशक और राजस्थान के अजमेर जिले के कलेक्टर के रूप में कार्य किया।

बाद में, वह अजमेर में जिला निर्वाचन अधिकारी बनीं और उन्होंने राजस्थान में विधानसभा चुनावों के दौरान अच्छा प्रदर्शन किया।

उसने अलग-अलग लोगों को चुनाव में वोट डालने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने उनके लिए वाहनों, दिव्यांग रथों की व्यवस्था की और उनकी सहायता के लिए बूथ स्तर के अधिकारियों को सौंपा।

उसने व्हीलचेयर जैसी अन्य व्यवस्थाएं भी कीं, जिसके कारण 17,000 अलग-अलग लोग मतदान केंद्रों पर आए।

आरती डोगरा को भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने चुनावों में शानदार अभिनय के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा।