शुक्रवार, 30 अप्रैल 2021

ऑक्सीजन कैसे उत्पन्न होती है? जिसे सिलेंडरों में भरा जा सके |

इन दिनों कोरोना का प्रकोप लगातार बढ़ता ही जा रही है। हालात तो ऐसे हो गए हैं कि कई जगहों पर लॉकडाउन (Lockdown in india) तक लगा दिया गया है। दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में लॉकडाउन के जरिए कोरोना के संक्रमण को रोकने की कोशिश हो रही है। कोरोना के मरीजों के संख्या इतनी तेज बढ़ रही है कि अस्पतालों में बेड कम पड़ गए हैं और ऑक्सीजन सिलेंडर (Oxygen Cylinder) की कमी पैदा हो गई है। ऐसे में बहुत सी स्टील, पेट्रोलियम और उर्वरक कंपनियां भी अपने कारोबार में इस्तेमाल होने वाले ऑक्सीजन सिलेंडर अस्पतालों को सप्लाई कर रहे हैं। ऐसे में बहुत से लोग ये नहीं समझ पा रहे हैं कि आखिर जो ऑक्सीजन वातावरण में भरी पड़ी है, उसके सिलेंडर की कमी कैसे हो गई है? आइए आपको बताते हैं ऑक्सीजन का पूरा इकनॉमिक्स।

ऑक्सीजन सिलेंडर

जानिए कैसे बनती है ऑक्सीजन

ऑक्सीजन गैस क्रायोजेनिक डिस्टिलेशन प्रोसेस के जरिए बनती है। इस प्रक्रिया में हवा को फिल्टर किया जाता है, ताकि धूल-मिट्टी को हटाया जा सके। उसके बाद कई चरणों में हवा को कंप्रेस (भारी दबाव डालना) किया जाता है। उसके बाद कंप्रेस हो चुकी हवा को मॉलीक्यूलर छलनी एडजॉर्बर (adsorber) से ट्रीट किया जाता है, ताकि हवा में मौजूद पानी के कण, कार्बन डाई ऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन को अलग किया जा सके।

इस पूरी प्रक्रिया से गुजरने के बाद कंप्रेस हो चुकी हवा डिस्टिलेशन कॉलम में जाती है, जहां इसे ठंडा किया जाता है। यह प्रक्रिया एक plate fin heat exchanger & expansion turbine के जरिए होती है। ऑक्सीजन को -185 डिग्री सेंटीग्रेट (ऑक्सीजन का उबलने का स्तर) तक ठंडा किया जाता है, जिससे उसे डिस्टिल्ड किया जाता है। बता दें कि डिस्टिल्ड की प्रक्रिया में पानी या तरल को उबाला जाता है और उसकी भाप को कंडेंस कर के जमा कर लिया जाता है। इस प्रक्रिया को अलग-अलग स्टेज में कई बार किया जाता है, जिससे नाइट्रोजन, ऑक्सीजन और अर्गन जैसी गैसें अलग-अलग हो जाती हैं। इसी प्रक्रिया के बाद लिक्विड ऑक्सीजन और गैस ऑक्सीजन मिलती है।



ऑक्सीजन की खोज

 जीवनदायिनी गैस ऑक्सीजन इस पृथ्वी पर सभी जीवों के जीवित रहने के लिए अति महत्वपूर्ण है। इस रासायनिक तत्व के बिना धरती पर जीवन असंभव है। इसके विभिन्न रासायनिक गुणों के पता चल जाने से आज इसका उपयोग स्टील, प्लास्टिक, वस्त्र आदि उद्योगों में बड़े स्तर पर किया जा रहा हैं। लेकिन क्या आपको मालूम है, इतने महत्वपूर्ण गैस Oxygen ki khoj kisne ki थी और कब? तो इसका उत्तर है, इस गैस की खोज आज से लगभग 245 वर्ष पहले अंग्रेज रसायन विज्ञानी जोसेफ प्रिस्टले (Joseph Priestley) ने 1774 ई.वी. में की थी।

Joseph Priestley


ऐसा भी माना जाता है कि जोसेफ प्रिस्टले से पहले ही लगभग सन् 1772 में स्वीडेन के रसायनज्ञ कार्ल विल्हेल्म शीले (Carl Wilhelm Scheele) ने स्वतंत्र रूप से इस गैस की खोज कर ली थी, लेकिन उन्होंने इस खोज को सार्वजनिक रूप से प्रकाशित नहीं करवाया था; जिस कारण इस गैस की खोज का श्रेय प्रिस्टले को ही दिया जाता है।


उस समय प्रिस्टले ने इस गैस का नाम ‘dephlogisticated air’ रखा था। इस गैस को ‘ऑक्सीजन’ नाम सन् 1777 में फ्रांसीसी वैज्ञानिक एंटोनी लेवोज़ियर ने दिया था। लेवोज़ियर ने ही इसकी पहचान एक रासायनिक तत्व के रूप में कि थी तथा किसी चीज के जलने में इसकी भूमिका का पता लगाया था।


जोसेफ प्रिस्टले तथा अन्य गैसों की खोज

जोसेफ प्रिस्टले 18वीं सदी के प्रसिद्ध  दर्शनशास्त्री, प्रगतिशील रसायनज्ञ थे।

उत्तरी इंग्लैंड के लीड्स शहर में 1774 में उन्होंने ‘ऑक्सीजन’ तथा 9 अन्य गैसों की खोज कि। उन नौ गैसों के नाम इस प्रकार हैं –


क्र. सं. गैसों के नाम रासायनिक सूत्र

1. नाइट्रिक ऑक्साइड (नाइट्रोजन मोनोऑक्साइड) NO

2. नाइट्रोजन डाइऑक्साइड NO2

3. नाइट्रस ऑक्साइड (laughing gas) N2O

4. हाईड्रोजन क्लोराईड HCI

5. अमोनिया NH3

6. सल्फर डाइऑक्साइड SO2

7. सिलिकॉन टेट्रफ्लुओराइड SiF4

8. नाइट्रोजन N

9. कार्बन मोनोऑक्साइड CO