बक्सवाहा को बख्श दो | ( विशेष आग्रह)
विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं |
इंसानी घटिया और दिखावा सोच के उदाहरण
1. प्राकृतिक जंगल को लाखों और करोड़ों की तादात में काटते जा रहे और ऊपरी दिखावे के लिए 1-2 पेड़ पौधा लगाने की बात करते है|
2. जानवरों के वास्तविक घरों मतलब जंगलों को मिटाते जा रहे हैं और दिखावे के लिए 2-4 वन्य अभ्यारण खोल रहे |
3. पानी की सुविधा के नाम पर पृथ्वी में पानी निकालने के लिए अरबों छेद कर दिए और दिखावा के लिए पानी बचाओ आंदोलन |
4. खनिज और धातु उत्खनन के लिए लाखों वर्ग किलोमीटर पहाड़ों और प्राकृतिक संसाधनों को खोद डाला और दिखाने के लिए प्रकृति बचाओ आंदोलन|
5. पक्षियों का आवास मिटाते जा रहे हैं दूसरी तरफ दिखाने के लिए छतों पर पानी का सकोरा |
6. कार्बन उत्सर्जन और प्रदूषण की दर को बढ़ाते जा रहे और दूसरी तरफ दिखाने के लिए प्रदूषण कम करने के लिए प्रदूषण दिवस मनाते जा रहे |
7. जब समुद्री जानवरों का रहना दुश्वार कर दिया तब तो धरती पर रहने वाले जानवर का क्या हश्र हुआ होगा और दिखाने के लिए ...
8. धरती तो ठीक, अंतरिक्ष में भी हम लोगों ने कचरा फैला दिया और दिखाने के लिए.....
9. हजारों रासायनिक फार्टिलाइजर्स का उपयोग और पराली जला कर मिट्टी को बांझ करने वाले दूसरी ओर फसल खराब होने पर स्वांग भगवान को कोसने का
10. हिटलर जैसे नेताओं को चुनने वाले दूसरी और दिखावा करते है और मांग करते है अच्छे राष्ट्र की | ये सामाजिक और राजनैतिक पर्यावरण को ध्वस्त करने की बात हो गई|
कोरोना एक ट्रेलर है |
कृतिम ऑक्सीजन की अत्यधिक जरूरत भविष्य में होने बाली महामारियों का संकेत हो सकता है |
{आशा नहीं आशंका }
मैं भी अपनी इस दिखावे वाली वाणी को विराम देता हूं|
सौरभ रोहित
धन्यवाद