गुरुवार, 26 नवंबर 2020

डॉ हरिसिंह गौर 151 वी जयंती

डॉ हरिसिंह गौर
(26 नवंबर 1870- 25 दिसंबर 1949) 

आज डॉ हरिसिंह गौर जी की 151 वी जयंती मनाएं घर-घर ज्ञान का दीप जलाएं | डॉ हरिसिंह गौर का जन्म 26 नवंबर 1870 सागर में हुआ था | सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक, शिक्षाशास्त्री, ख्यति प्राप्त विधिवेत्ता, न्यायविद्, समाज सुधारक, साहित्यकार (कवि, उपन्यासकार) तथा महान दानी एवं देशभक्त थे। वह बीसवीं शताब्दी के सर्वश्रेष्ठ शिक्षा मनीषियों में से थे। वे दिल्ली विश्वविद्यालय तथा नागपुर विश्वविद्यालय के उपकुलपति रहे। वे भारतीय संविधान सभा के उपसभापति, साइमन कमीशन के सदस्य तथा रायल सोसायटी फार लिटरेचर के फेल्लो भी रहे थे।उन्होने कानून शिक्षा, साहित्य, समाज सुधार, संस्कृति, राष्ट्रीय आंदोलन, संविधान निर्माण आदि में भी योगदान दिया।उन्होने अपनी गाढ़ी कमाई से 20 लाख रुपये की धनराशि से 18 जुलाई 1946 को अपनी जन्मभूमि सागर में सागर विश्वविद्यालय की स्थापना की तथा वसीयत द्वारा अपनी निजी सपत्ति से 2 करोड़ रुपये दान भी दिया था। इस विश्वविद्यालय के संस्थापक, उपकुलपति तो थे ही, वे अपने जीवन के आखिरी समय (२५ दिसम्बर १९४९) तक इसके विकास व सहेजने के प्रति संकल्पित रहे। उनका स्वप्न था कि सागर विश्वविद्यालय, कैम्ब्रिज तथा ऑक्सफोर्ड जैसी मान्यता हासिल करे। उन्होंने ढाई वर्ष तक इसका लालन-पालन भी किया। डॉ॰ सर हरीसिंह गौर एक ऐसा विश्वस्तरीय अनूठा विश्वविद्यालय है, जिसकी स्थापना एक शिक्षाविद् के द्वारा दान द्वारा की गई थी। ऐसे श्रेष्ठ दानवीर को नमन|
 उन्होंने ना सिर्फ बुंदेलखंड बल्कि राष्ट्र को एक शिक्षा का बहुत बड़ा तोहफा सौपा |
 सागर विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा 2009 में मिला |
वर्तमान में सागर विश्वविद्यालय 830 हेक्टेयर में फैला है जिसमें 37 विभाग और 10,000 विद्यार्थी अध्ययनरत है यहां 300 से अधिक शिक्षक और 1000 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं |

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