रविवार, 27 सितंबर 2020

खरगोश का हुनर

 


एक खरगोश को खरगोशों की स्कूल में भर्ती किया गया, पर उसमें एक खास बात थी कि वह दूसरों खरगोशों की तुलना में बढ़िया कूदता था, लेकिन तैर नहीं पाता था| साल के अंत में उसे कूदने के लिए बढ़िया अंक मिले लेकिन वह तैराकी में फेल हो गया| क्योंकि उसे तैराकी पसंद नहीं थी और उसे तैराकी करने में बहुत दिक्कतें होती थी |पर माता-पिता को बहुत चिंता हुई | माता-पिता ने खरगोश से कहा:- कूदने के बारे में भूल जाओ,  उसमें, तो तुम अच्छे ही हो | सारा ध्यान तैराकी पर लगाओ | खरगोश ने  तैराकी  की तरफ  ध्यान बढ़ा दिया और कूदना बिल्कुल छोड़ दिया | उन्होंने  खरगोश की तैराकी की कोचिंग भी करवा दी | बताइए आगे क्या हुआ होगा?  मैं ही बता देता हूं | खरगोश कूदने के हुनर में भी पीछे रह गया,  जहां तक, तैराकी का सवाल है; क्या आपने कभी किसी खरगोश को तैरते हुए देखा है ?


सीख:- सबसे पहले हमें अपने मजबूत पक्षों को साथ लेकर शुरुआत करना चाहिए|  यह भी जानना जरूरी है कि हम किन बातों में अच्छे नहीं हैं, लेकिन जो हममें अच्छा है उसका आनंद जरूर उठाना चाहिए | ऐसा इसलिए जरूरी है क्योंकि हमारी मजबूत बातें ही कमजोरियों को दूर करने के लिए ताकत बनती है | जो आपके मजबूत हुनर है उन्हें हमेशा तरासते और निखारते रहिए|

रविवार, 20 सितंबर 2020

विश्लेषण


एक बुजुर्ग दंपत्ति दशकों से साथ थे | कुछ समय से पति को लगने लगा था कि उनकी पत्नी को अच्छे से सुनाई नहीं देता है |उसने डॉक्टर से सलाह ली तो डॉक्टर बोला ' पहले जांचिए कि आपकी पत्नी की समस्या कितनी गंभीर है ? उनसे कुछ दूर खड़े होकर देखिए की उन्हें कितनी दूर से सुनाई देता है देता है देता है | ' पति घर गया और उसने डॉक्टर के बताए अनुसार 30 फीट की दूरी पर खड़े होकर पत्नी से पूछा:- 'आज खाने में क्या है? ' पति को कोई जवाब नहीं मिला | फिर उसने 20 फीट की दूरी से पूछा:- ' आज खाने में क्या है? ' फिर कोई जवाब नहीं मिला | पति ने वही सवाल 10 फीट की दूरी से दोहराया दोहराया,  लेकिन कोई जवाब नहीं मिला | पति को लगने लगा कि पत्नी की सुनाई ना देने की समस्या गंभीर हो गई है | उसे पत्नी पर दया आई | फिर  बिल्कुल पास खड़े होकर उसने पत्नी के कंधे पर हाथ हाथ रखते हुए पूछा:- ' मैं चौथी बार पूछ रहा हूं की आज खाने में क्या है ? ' पत्नी गुस्से से चिल्लाते हुए बोली:- ' मैं भी चौथी बार बता रही हूं की खिचड़ी बनाई है | ' 


सीख:- कई बार समस्याएं  दूसरों में नहीं,  स्वयं में भी हो सकती है | समस्याओं का सही विश्लेषण करना जरूरी है  | 

रविवार, 6 सितंबर 2020

सुनहरा घर



एक पहाड़ी पर एक फार्म हाउस में एक बच्चा रहता था | रोज उसके पिता भेड़ चराने जाते और बच्चा सुबह एक काम जरुर करता | अपने घर की खिड़कियों से दूर बने एक दूसरे घर को देखा करता | उस घर की खिड़कियां सुनहरी थी | वह कहता:- मैं वहां जरूर जाऊंगा | एक दिन  उसने अपने पिता से कहा :- आज मैं भेड़ चराने जाऊंगा आप घर पर रहना  | बच्चे को इसी दिन का इंतजार था | और वह भेड़ों को चराते  हुए सुनहरी  खिड़कियों के घर की तरफ निकल पड़ा | चलते चलते उसे आभास हो गया था कि वह घर काफी दूर है | पहाड़ खेतों से गुजरते हुए शाम की शुरुआत तक वहां पहुंच गया पर उसे सुनहरी खिड़कियों वाला घर तो नहीं, पर पुरानी टूटी खिड़कियों वाला घर जरूर दिखा | उसने दरवाजा खटखटाया | तो उसी के उम्र का छोटा बच्चा बाहर आया | बच्चे ने दूसरे बच्चे से बड़ी उत्सुकता से पूछा:- क्यों तुमने सुनहरे खिड़कियों वाला घर देखा है ?
तब वह बच्चा उस बच्चे को अपने घर के अंदर  खिड़कियों के पास ले गया और वहां से एक घर को दिखाता है जो सुनहरा चमक रहा होता है जैसे कि वह इस नजारे को देखता है और स्तब्ध हो जाता है क्योंकि वह घर उसी का था जो सूरज की डूबती रोशनी में सुनहरा चमकता हुआ नजर आ रहा था |


जो आपके पास है वह बहुमूल्य है तुलना नहीं कीजिए खुश रहिए |