रविवार, 30 अगस्त 2020

कहानी :- प्रतियोगिता

प्रतियोगिता

एक बार सीधे पहाड़ पर चढ़ने की प्रतियोगिता हुई | प्रतियोगियों को पहाड़ पर चढ़ते देखने के लिए बहुत भीड़ जमा हो गई | हर कोई सीधी पहाड़ी को देखकर कहता ' यह तो बहुत सीधी है इस पर चढ़ना तो नामुमकिन है | '
कुछ प्रतियोगी यह सुनकर ऊपर चढ़े ही नहीं, तो कुछ थोड़ा ऊपर जाकर गिर गए और फिर प्रयास नहीं किया | उन्हें देख लोग और जोर से कहने लगे कि यह प्रतियोगिता कोई नहीं जीत सकता क्योंकि इस पहाड़ पर चढ़ना असंभव है | इससे बचे हुए प्रतियोगी भी हताश हो गए | लेकिन उन्हीं के बीच एक प्रतियोगी बार-बार गिरने पर भी कोशिश करता रहा और अंततः वह उसे सीधे पहाड़ पर चढ़ गया | उसे विजेता घोषित किया गया | वहां खड़े कुछ लोगों ने उससे पूछा कि तुमने यह असंभव काम कैसे किया ? तुम्हारी सफलता का राज क्या है ?  लेकिन उस प्रतियोगी ने किसी भी सवाल का कोई जवाब नहीं दिया | तभी पीछे से एक आवाज आई, ' अरे उससे क्या पूछते हो...... वह तो जन्म से ही कुछ सुन नहीं सकता |

सफलता पाने के लिए हताशा भरी नकारात्मक बातों को अनसुना करना ही बेहतर है |




रविवार, 23 अगस्त 2020

असफलताओं को सफलताओं में बदलना है तो इन से भी सीख सकते हैं |


बात किसी एग्जाम की हो, किसी प्रोजेक्ट की या बिज़नस की, फेल होने पर निराश और हताश होना आम है | लेकिन अगर आप हिम्मत हारे बिना वो करेंगे जो आपको पसंद है और उसमें बेहतरीन प्रदर्शन कर दिखाएंगे तो सफलता की नए रास्ते खुलेंगे | दुनिया में ऐसे कई सफल लोग हैं जिन्होंने सफल होने से पहले कई बार असफलता का सामना किया | अपने अनुभव से वे इस बात में बहुत यकीन रखते हैं की असफलता आपको सफलता के लिए तैयार करता है इसीलिए इससे डरे नहीं बल्कि सामना करें | लेखिका जे के रोलिंग भी असफलताओं पर खुलकर बात करती हैं | वे कहती हैं असफलता को गले लगाइए क्योंकि किसी चीज में फेल हुए बिना जीवन बिताना संभव ही नहीं है | कुछ ऐसे ही सोच के साथ इन सफल पर्सनालिटीज ने भी अपने स्कूल स्कोर को तवज्जो ना देकर अपने पैशन को पोषित किया और पूरी दुनिया में अपनी पहचान भी बनाई|

यह पांच हस्तियां

1. वयस्क होने के बाद भी पढ़ नहीं पाते थे टाम क्रूज |
Tom Cruise

हॉलीवुड लेजेंड टॉम क्रुज की माने तो वयस्क होने तक वे पढ़ नहीं पाते थे | इसकी वजह डिस्लेक्सिया थी | वे यह भी बताते हैं कि उन्होंने 18 स्कूल बदले | एक समय ऐसा भी था जब उन्होंने प्रीस्ट बनने के बारे में सोचा लेकिन एक टीचर के प्रोत्साहन पर हाई स्कूल के प्रोडक्शन में ऑडिशन दिया और लीड रोल अपने नाम कर लिया | यहीं से उन्होंने एक्टिंग में अपने पैशन को पहचाना और इसे करियर के तौर पर अपनाया | मिशन इंपॉसिबल और टॉप गन जैसी फिल्मों में काम कर चुके टाम क्रूज की संपत्ति आज लगभग 455 मिलियन स्टार्लिंग पाउंडस है |

2.रैपर बनने का सपना था तो पढ़ाई छोड़ी एमिनेम ने |
Eminem

एमिनेम अपने फेलियर को लेकर कई बार खुलकर बात कर चुके हैं | वे बताते हैं कि नौवीं क्लास में वे 3 बार फेल हुए और अंततः रैप सिंगर बनने के अपने सपने को पूरे करने की चाह में वे स्कूल की पढ़ाई पर फोकस नहीं कर पाए | इसकी चलते उन्होंने 17 कि उम्र में स्कूल ड्राप कर दिया | स्कूल छोड़ने के बाद एमिनेम ने इंडस्ट्री में पहचान बनाने की लिए कड़ी मेहनत की | इसी मेहनत के चलते आज भी पूरी दुनिया में रैपर के तौर पर जाने जाते हैं | आज उनकी संपत्ति की बात करें तो यह 167 मिलियन स्टार्लिंग पाउंडस है |

3.5000 बार फेल हुए लेकिन हारे नहीं डायसन | 

James Dayson

किसी एग्जाम या किसी काम में एक बार फेल होना काफी निराशाजनक होता है | 5000 बार वो फेल हुए हैं यह उनका फेलियरस् नंबर है जिनका सामना इनवेंटर व इंटरपेन्योर सर जेम्स डायसन ने अपने 15 साल के केरियर में किया | जेम्स डायसन मानती हैं कि ऐसे कई मोके आते हैं जब एक इन्वेंटर निराश होकर हार मान सकता है लेकिन मुझे मेरी हर असफलता ने सफलता के पास पहुंचाया | आज उनका तैयार किया गया बैगलैश वेक्यूम क्लीनर अमेरिका में बेस्ट सैलिंग में शामिल हैं | और आज उनकी संपत्ति 4.5 बिलियन डॉलर के पार है |

4.होमवर्क नहीं, गाना पसंद था रिहाना को |
Rihana
रिहाना को स्कूल जाना पसंद नहीं था | उनका मानना है कि जब आप गा सकते हैं, खेल सकते हैं या होमवर्क को छोड़कर कुछ भी दूसरा काम कर सकते हैं तो स्कूल जाना आपको कष्टदायक सकता है| रीरी के नाम से मशहूर इस सिंगर ने अपनी पहली रिकॉर्डिंग डील 16 की उम्र में साइन की और म्यूजिक रिहाना अंब्रेला, डायमंड्स और रुड बॉय जैसे कैई हिट स्टूडियो एलबम्स रिलीज कर चुकी है | हाल ही एक ब्यूटी ब्रांड लांच कर सफल बिजनेसमैन वुमन भी बनी |

5. स्कूल में बेवकूफ समझे जाते थे रिचर्ड ब्रैनसन |

Richard Branson

रिचर्ड ब्रैनसन बताते हैं कि उन्हें स्कूल में बेवकूफ़ स्टूडेंट के तौर पर देखा जाता था | डिस्लेक्सिया से ग्रस्त रिचर्ड ब्रैनसन को स्कूल में लर्निंग में दिक्कतों का सामना करना पड़ा | आखिरकार 16 की उम्र आते आते उन्होंने स्कूल छोड़ दिया और एक स्टूडेंट मैगजीन शुरुआत की | मैगजीन को सपोर्ट करने के लिए उन्होंने मेल के जरिए रिकॉर्ड बेचने भी शुरू किए | मैगजीन तो सफल ना हो सकी लेकिन रिकॉर्ड का बिजनेस सफल हुआ और पूरी दुनिया में पहचाने जाने वाली कंपनी वर्जिन रिकॉर्ड्स में तब्दील हो गई | आज 400 कंपनियां इसमें शामिल हैं |
 📝📝...... Sourabh 

रविवार, 16 अगस्त 2020

क्या गोरापन ही सुंदरता है??? Dark Vs Fair

भारतीय लोग गोरी रंगत को पसंद करते हे यह निर्विवाद है आप मैट्रिमोनियल के विज्ञापन ही देख लीजिए |उनमें यह एक लाइन जरूर लिखी होती है सुशील सुंदर गौरवर्णी कन्या के लिए वर चाहिए या वर के लिए सुशील सुंदर गौरवर्णी कन्या चाहिए | हमारे लिए सुंदरता के मायने गोरापन ही क्यों है ? 

गौरवर्ण के प्रति इतना लगाव क्यों?


1. भारत में सदियों तक अंग्रेजों (गोरो) का राज रहा जिससे मानसिकता बैठ गई कि गौरवर्णी ही राजा होते हैं|
2. फिल्मों और विज्ञापनों में गोरी रंगत के लोगों को ज्यादा श्रेष्ठ और कामयाब दिखाने की परंपरा |

तो फिर कैसे बदले नजरिया? 

रंग को लेकर सुंदरता का जो पैमाना है उसे बदलना आसान नहीं है लेकिन कहीं ना कहीं से तो शुरुआत करनी पड़ेगी | और यह शुरुआत परिवार से ही हो | और परिवार में भी बच्चों से | बच्चों में शुरू से ही यह भावना विकसित करने की जरूरत है कि जो प्रतिभा संपन्न है |वह सुंदर है | जो अच्छा इंसान है | वह सुंदर सुंदर है | सुंदरता का रंग से कोई संबंध नहीं है | माता पिता को भी अपने बच्चों के सामने गोरी रंगत को कोई महत्व नहीं देना चाहिए | अपने बच्चों की त्वचा की रंगत में निखार की कतई कोशिश नही करना चाहिए| बल्कि त्वचा की सेहत पर ध्यान देना चाहिए| त्वचा की सुंदरता उसके अच्छे स्वास्थ्य पर निर्भर करती है ना कि त्वचा की रंगत पर | लेकिन अक्सर माताएं और बेटियां त्वचा की रंगत में निखार के लिए टिप्स खोजती रहती है इसी नजरिए को बदलने की जरूरत है क्योंकि यही मां और बेटियों से बच्चों का नजरिया गौरवर्ण की तरफ हो जाता है और फिर वह समाज का दृष्टिकोण बन जाता है |
विज्ञापनों और फिल्मों में सांवली और काली रंगत के लोगों को भी लाया जाना चाहिए जिससे सुंदरता को लेकर रंग के प्रतिमान बदल सकें|
हालांकि यह भी ध्यान रखना जरूरी है की कहीं भविष्य में सांवलापन या कालापन ही सुंदरता का पैमाना ना बन जाए क्योंकि यह भी गलत होगा क्योंकि सुंदरता को रंग के पैमाने पर मापा ही नहीं जाना चाहिए फिर वह श्वेत रंग का हो या अश्वेत |

असली सुंदरता के मायने

कहते हैं की सुंदरता तो, देखने वालों की आंखों में होती है| आंतरिक सुंदरता की बात अक्सर की जाती की जाती है| लेकिन सच तो यह है कि सदियों से हम सुंदरता को बाहरी चमक-दमक से ही मापते आए हैं | जब से गौरवर्ण को सुंदर माने जाने जाने लगा  है | सभी ने गोरा ही सुंदर है की विचारधारा को बढ़ाने का काम किया है | हमें इस सोच में बदलाव करने की जरूरत  है |
सुंदरता कभी भी आंतरिक सौंदर्य के बिना पूरी नहीं हो  सकती अच्छी वाणी और मन, सरल और शिष्ट व्यवहार,  ईमानदारी और स्वस्थ शरीर का सौम्य मिश्रण ही सुंदरता है|
सांवली रंगत के प्रसिद्ध भारतीय


श्वेत रंग  को  सुंदरता के प्रतीक, से हटाना क्यों  जरूरी है?


भारत में देखा जाए तो क्या यहाँ सिर्फ जातिभेद है, रंगभेद नहीं है। परंतु वास्तविकता कुछ और ही है, क्योंकि भारत भी रंगभेद से अछूता नहीं है। भारत में इसका अपना अलग ही स्वरूप है, क्योंकि लिंगभेद से जुड़कर यह और भयानक हो जाता है।भारतीय समाज में लड़कियों के लिये सांवला रंग किसी शारीरिक अपंगता जैसा ही बड़ा अभिशाप है।


सुंदर और गौरवर्णी त्वचा की दीवानगी को दर्शाते यह आंकड़े
1.  58000 करोड़ रुपए का स्किन केयर प्रोडक्ट का स्किन केयर प्रोडक्ट का मार्केट हैं | (2020 के मौजूदा अनुमानों के अनुसार भारत में) 
2.  73000 करोड़ रुपए का हो जाएगा स्किन केयर प्रोडक्ट का मार्केट भारत में 2023 तक |
3. 7.9% की वार्षिक बढ़ोतरी बढ़ोतरी के साथ बढ़ रहा है भारत का स्किन केयर प्रोडक्ट का बाजार |

 📝.... सौरभ रोहित

संदर्भ:-
1. शहनाज हुसैन ,अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सौंदर्य विशेषज्ञ |
2. कविता इम्मानुएल, फाउंडर डार्क इज ब्यूटीफुल कैंपेन|


रविवार, 9 अगस्त 2020

समस्याओं का हल

एक बार की बात है| एक बुजुर्ग एक गांव में रहता था | उसकी सफेद दाढ़ी और बाल दिव्यता का एहसास कराते थे | पूरे गांव में सबसे बुद्धिमान उन्हीं बुजुर्गों को माना जाता था | लोग अपनी समस्या लेकर बुजुर्ग के पास आते| जिनका वे समाधान  करते | अक्सर लोगों की समस्याएं एक जैसी ही होती थी | ऐसे ही एक दिन पूरा गांव अपनी-अपनी समस्याओं को लेकर उन्हें  घेर बैठा | फिर उन्होंने एक चुटकुला सुनाया और सभी लोग ठहाका मारकर हंसने लगे | 5 मिनट बाद वही चुटकुला उन्होंने फिर से सुनाया | इस बार कुछ लोग हंसे और कुछ मुस्कुरा कर रह गए | तीसरी बार उन्होंने फिर वही चुटकुला सुनाया तो कोई भी नहीं हंसा बल्कि हैरान होकर सभी, बुजुर्गों को देखने लगे | बुजुर्ग मुस्कुराया और बोला:- जब आप एक ही चुटकुले पर बार-बार नहीं हंस सकते तो एक जैसी समस्याओं को लेकर क्यों रोते हो| अब समस्या लेकर आए हुए गांव के लोगों को अपनी समस्या का हल मिल चुका था | सभी मुस्कुराते हुए अपने अपने घर लौट गए घर लौट गए गए|

सुख और समस्याएं, दिन-रात की तरह ही होते हैं जो क्रमागत हैं| जो हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है या कहें तो जिंदगी |मुस्कुराते हुए समस्याओं का सामना कीजिए| यकीनन सुखों का सवेरा भी आएगा|

सोमवार, 3 अगस्त 2020

अच्छे भाई होने का फर्ज |

रक्षाबंधन


इस रक्षा बंधन मैं अपनी बहनों को ये सात वचन देता हूँ और उनका पालन करूंगा:-
1. मैं आपकी रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहूंगा|
समाज की बुराइयों से | लेकिन आपको चार दीवारी में बंद करके नहीं, बल्कि समाज में विकसित बुराइयों के बारे में समझा कर बाहर जाने दूंगा। जब आप चाहती या जरूरत होगी की मैं रक्षा  करने  आपके साथ रहूं  तब मैं हमेशा वहां रहूंगा।

2. जब आपको जरूरत हो तब मैं गाइड करूंगा |
कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप क्या बनने की ख्वाहिश रखती है, मैं हमेशा आपके जीवन और करियर और हित के  संदर्भ में,  अधिकतम ज्ञान प्राप्त करके आपको सम्मानजनक तरीके से सबसे अच्छे विकल्प के लिए मार्गदर्शन करूंगा ।

3. मैं आपको कभी नहीं मारूंगा |
... कोई फर्क नहीं पड़ता कि स्थिति क्या है ... तब  भी चाहे  मेरे पास आपको सिखाने के बेहतर तरीके हैं जो आपको सीखने की जरूरत है। 

(मैं समझता हूं कि अगर आप  हिंसा को परिवार की संस्कृति का हिस्सा मान लेगी है, तो (भगवान ना करे) पर कभी जब ससुराल बाले आप पर बर्बरता करेंगे तो आप इसे जीवन का संस्कार मानकर जिएगी जो बहुत नाइंसाफी होगी |)

4. मैं आपकी निजता का सम्मान करूंगा |
मैं कभी चुपके से आपकी जाँच नहीं करूँगा। आप भी एक व्यक्ति है, जिसके पास अपना स्थान है और बिना अनुमति के किसी के निजी स्थान में प्रवेश करना सकारात्मक संकेत नहीं है। मेरी बहन होने के नाते, मैं हमेशा आपकी निजता का सम्मान करूंगा।


5. मैं , आपके रहस्यों को रहस्य  रखने की कसम खाता हूं |
यदि कोई रहस्य आपने मेरे साथ साझा किया है, तो मैं इसे उस दिन तक सुरक्षित रखने का वादा करता हूं जब तक मैं मर नहीं जाता।

6. मैं , आपका साथ कभी नहीं छोडूंगा|
परिस्थितियां चाहे कितनी खराब ही क्यों ना हो पर मैं उसका साथ कभी नहीं छोड़ूंगा... चाहे आप मेरे बारे में कुछ भी महसूस करे, लेकिन मैं बदले में किसी भी चीज की उम्मीद किए बिना हमेशा  साथ निभाऊंगा | अगर कोई बात है तो  मैं इसके कारण को खोजकर और  सुधारने का प्रयास करूंगा। 
(चाहे आपने अपनी मर्जी से शादी की हो) 

7. मैं आपकी,निर्णयों का सम्मान करूंगा|
हम दोनों एक ही छत के नीचे पले बढ़े | मम्मी पापा का एक सा प्यार मिला और एक ही टीवी के रिमोट के पीछे लड़े भी| पर मैं आपके निर्णयों का सम्मान करना करूंगा|..

📝📝...... सौरभ रोहित

रविवार, 2 अगस्त 2020

दोस्ती में अच्छाई याद रखिए |




दो दोस्त रेगिस्तान से होकर गुजर रहे थे | बीच-बीच में हंसी मजाक मजाक चल रहा था | पर अचानक मजाक तर्क वितर्क में बदल गया | गुस्से- गुस्से में एक दोस्त ने दूसरे दोस्त दूसरे दोस्त को थप्पड़ मार दिया | जिसे थप्पड़ पड़ा वह चुपचाप पीछे चलने लगा |  एक जगह दोनों थोड़ा विश्राम करने के लिए रुके | थप्पड़ खाया हुआ दोस्त चुप था | वह चुपचाप रेत पर लिख रहा था आज मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने मुझे थप्पड़ मारा | दूसरा दोस्त उसे देख रहा था | लेकिन चुप रहा | रेगिस्तान खत्म होने को आया | एक नदी के मुहाने दोनों दोस्त रुक गए और दोनों नहा ही रहे थे | की थप्पड़ खाया हुआ दोस्त डूबने लगा तो, दूसरे दोस्त ने उसे हाथ पकड़ कर उसे बाहर खींच लिया |  मौत के खौफ से निकला हुआ , दोस्त  थोड़ी देर बाद पत्थर पर लिख रहा था... आज मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने मेरी जान बचाई  | दूसरे दोस्त ने ने यह लिखने का कारण पूछा |  तो उसने बताया  जब कोई हमें ठेस पहुंचाता है तो उसे हमें रेत पर लिख देना चाहिए जिससे क्षमा की हवाएं उसे मिटा सके  और जब कोई आपके प्रति अच्छाई करें तो उसे पत्थर पर उकेर देना चाहिए ताकि उसे कोई चाह कर भी न मिटा सके|

सीख:- जिनसे जीवन में सार्थकता है सिर्फ उन्हीं बातों को महत्व दें |


डॉ. कलाम के जीवन के कुछ जाने-अनजाने पहलू (10 रोचक तथ्य)



बीती 27 जुलाई 2020 को डॉक्टर कलाम की 5th पुण्यतिथि के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके जीवन के कुछ ऐसे रोचक तथ्यों को आप तक पहुंचा रहा हूं जिन्हें आप जानकर उनके जीवन के अनुभव  का फायदा ले सकते हैं | और जानकारी में इजाफा कर सकते हैं |

भारतीय गणतंत्र के ग्यारहवें निर्वाचित राष्ट्रपति(2002-2007) 

पूरा नाम:- अबुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम मसऊदी
अन्य नाम:- मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति |
जन्म:- 15 अक्टूबर 1931
जन्म स्थान:- रामेश्वरम रमानाथपुरम जिला, ब्रिटिश राज (मौजूदा तमिलनाडु, भारत)
मृत्यु:- 27 जुलाई 2015 (उम्र 83)
प्रमुख पुरूस्कार
1997 भारत रत्न
1990 पद्म विभूषण
1981 पद्म भूषण
पेशा :- 
 प्रोफेसर, लेखक, परमाणु वैज्ञानिक ,वैज्ञानिक ,एयरोस्पेस इंजीनियर |
रचनाएँ:-
‌इग्नाइटेड माइंडस: अनलीशिंग द पावर विदीन इंडिया | ( प्रज्वलित मन ) 
‌इंडिया-माय-ड्रीम | ( भारत- मेरा सपना) 
‌एनविजनिंग अन एमपावर्ड नेशन: टेक्नालजी फार सोसायटल ट्रांसफारमेशन |
आत्मकथात्मक रचनायें:-
‌विंग्स ऑफ फायर: एन आटोबायोग्राफी ऑफ एपीजे अब्दुल कलाम : सह लेखक - अरुण तिवारी|
‌साइंटिस्ट टू प्रेसिडेंट|
‌माय जर्नी |



कलाम के बारे में 10 रोचक तथ्य:-

‌1. अब्दुल कलाम ने अपनी आरंभिक शिक्षा जारी रखने के लिए अख़बार वितरित करने का कार्य भी किया था।

‌ 2. कलाम के पसंदीदा विषय गणित और भौतिकी थे|
‌कलाम भारतीय वायु सेना के लिए एक फाइटर पायलट बनने का एक मौका चूक गए थे। उनकी 9 वी रैंक रैंक वी रैंक आई थी जबकि सिर्फ भर्तीयां 8 थी|

3. ‌कलाम सत्तारूढ़  भारतीय जनता पार्टी व विपक्षी  भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस दोनों के समर्थन के साथ 2002 में भारत के राष्ट्रपति चुने गए थे|

4. ‌उन्हें 40 से अधिक विश्वविद्यालयों और संस्थानों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त हो चुकी है।

‌5. कलाम , भारत के दूसरे उपग्रह रोहिणी के परियोजना निदेशक थे। जिसे 25अप्रैल 1975 लॉन्च किया गया था|

‌6. DRDO में, वह एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम के प्रमुख थे और 5 मिसाइलें विकसित की थीं: नाग, आकाश, त्रिशूल, अग्नि, पृथ्वी|

7. ‌कलाम भारत के पहले अविवाहित वैज्ञानिक राष्ट्रपति हैं।

8. ‌उनके जन्मदिन के अवसर पर, संयुक्त राष्ट्र (UN) ने 2010 में इसे विश्व छात्र दिवस के रूप में मनाने घोषणा की थी तभी से प्रत्येक वर्ष 15 अक्टूबर ( कलाम के जन्मदिन ) को World Student Day मनाया जाता है|

‌9. कलाम 1979 में SLV-III परियोजना के प्रमुख निर्देशक थे|और SLV-III की असफलता पर डॉ कलाम ने कहा था "जब विफलता हुई, तो संगठन के प्रमुख के पास उस विफलता का स्वामित्व था। जब सफलता मिली, तो उन्होंने इसे सफलता का श्रेय अपनी टीम को दिया। सबसे अच्छा प्रबंधन सबक जो मैंने सीखा है, वह किताब पढ़ने से मेरे पास नहीं आया; यह उस अनुभव से आया है |

10. कलाम पूरी जिंदगी शाकाहारी और आविवाहित रहे|

27 जुलाई 2015 को भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलांग में व्याख्यान देने के बाद एक दुर्भाग्यपूर्ण कार्डियक अरेस्ट के कारण उनका निधन हो गया था।

‌‘परवाज़’ गुलज़ार की आवाज़ में डॉ. कलाम की आत्मकथा है। इस ऑडियोग्राफी का एक-एक शब्द रौंगटे खड़े कर देने वाला है। गुलज़ार साहब की आवाज़ में ‘परवाज़’ को सुनकर अब्दुल कलाम भी रो पड़े थे।
     इसे आप भी सुन सकते हैं नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करके

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