रविवार, 16 अगस्त 2020

क्या गोरापन ही सुंदरता है??? Dark Vs Fair

भारतीय लोग गोरी रंगत को पसंद करते हे यह निर्विवाद है आप मैट्रिमोनियल के विज्ञापन ही देख लीजिए |उनमें यह एक लाइन जरूर लिखी होती है सुशील सुंदर गौरवर्णी कन्या के लिए वर चाहिए या वर के लिए सुशील सुंदर गौरवर्णी कन्या चाहिए | हमारे लिए सुंदरता के मायने गोरापन ही क्यों है ? 

गौरवर्ण के प्रति इतना लगाव क्यों?


1. भारत में सदियों तक अंग्रेजों (गोरो) का राज रहा जिससे मानसिकता बैठ गई कि गौरवर्णी ही राजा होते हैं|
2. फिल्मों और विज्ञापनों में गोरी रंगत के लोगों को ज्यादा श्रेष्ठ और कामयाब दिखाने की परंपरा |

तो फिर कैसे बदले नजरिया? 

रंग को लेकर सुंदरता का जो पैमाना है उसे बदलना आसान नहीं है लेकिन कहीं ना कहीं से तो शुरुआत करनी पड़ेगी | और यह शुरुआत परिवार से ही हो | और परिवार में भी बच्चों से | बच्चों में शुरू से ही यह भावना विकसित करने की जरूरत है कि जो प्रतिभा संपन्न है |वह सुंदर है | जो अच्छा इंसान है | वह सुंदर सुंदर है | सुंदरता का रंग से कोई संबंध नहीं है | माता पिता को भी अपने बच्चों के सामने गोरी रंगत को कोई महत्व नहीं देना चाहिए | अपने बच्चों की त्वचा की रंगत में निखार की कतई कोशिश नही करना चाहिए| बल्कि त्वचा की सेहत पर ध्यान देना चाहिए| त्वचा की सुंदरता उसके अच्छे स्वास्थ्य पर निर्भर करती है ना कि त्वचा की रंगत पर | लेकिन अक्सर माताएं और बेटियां त्वचा की रंगत में निखार के लिए टिप्स खोजती रहती है इसी नजरिए को बदलने की जरूरत है क्योंकि यही मां और बेटियों से बच्चों का नजरिया गौरवर्ण की तरफ हो जाता है और फिर वह समाज का दृष्टिकोण बन जाता है |
विज्ञापनों और फिल्मों में सांवली और काली रंगत के लोगों को भी लाया जाना चाहिए जिससे सुंदरता को लेकर रंग के प्रतिमान बदल सकें|
हालांकि यह भी ध्यान रखना जरूरी है की कहीं भविष्य में सांवलापन या कालापन ही सुंदरता का पैमाना ना बन जाए क्योंकि यह भी गलत होगा क्योंकि सुंदरता को रंग के पैमाने पर मापा ही नहीं जाना चाहिए फिर वह श्वेत रंग का हो या अश्वेत |

असली सुंदरता के मायने

कहते हैं की सुंदरता तो, देखने वालों की आंखों में होती है| आंतरिक सुंदरता की बात अक्सर की जाती की जाती है| लेकिन सच तो यह है कि सदियों से हम सुंदरता को बाहरी चमक-दमक से ही मापते आए हैं | जब से गौरवर्ण को सुंदर माने जाने जाने लगा  है | सभी ने गोरा ही सुंदर है की विचारधारा को बढ़ाने का काम किया है | हमें इस सोच में बदलाव करने की जरूरत  है |
सुंदरता कभी भी आंतरिक सौंदर्य के बिना पूरी नहीं हो  सकती अच्छी वाणी और मन, सरल और शिष्ट व्यवहार,  ईमानदारी और स्वस्थ शरीर का सौम्य मिश्रण ही सुंदरता है|
सांवली रंगत के प्रसिद्ध भारतीय


श्वेत रंग  को  सुंदरता के प्रतीक, से हटाना क्यों  जरूरी है?


भारत में देखा जाए तो क्या यहाँ सिर्फ जातिभेद है, रंगभेद नहीं है। परंतु वास्तविकता कुछ और ही है, क्योंकि भारत भी रंगभेद से अछूता नहीं है। भारत में इसका अपना अलग ही स्वरूप है, क्योंकि लिंगभेद से जुड़कर यह और भयानक हो जाता है।भारतीय समाज में लड़कियों के लिये सांवला रंग किसी शारीरिक अपंगता जैसा ही बड़ा अभिशाप है।


सुंदर और गौरवर्णी त्वचा की दीवानगी को दर्शाते यह आंकड़े
1.  58000 करोड़ रुपए का स्किन केयर प्रोडक्ट का स्किन केयर प्रोडक्ट का मार्केट हैं | (2020 के मौजूदा अनुमानों के अनुसार भारत में) 
2.  73000 करोड़ रुपए का हो जाएगा स्किन केयर प्रोडक्ट का मार्केट भारत में 2023 तक |
3. 7.9% की वार्षिक बढ़ोतरी बढ़ोतरी के साथ बढ़ रहा है भारत का स्किन केयर प्रोडक्ट का बाजार |

 📝.... सौरभ रोहित

संदर्भ:-
1. शहनाज हुसैन ,अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सौंदर्य विशेषज्ञ |
2. कविता इम्मानुएल, फाउंडर डार्क इज ब्यूटीफुल कैंपेन|


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